Sher Ka Husn Ho

Khaiyyaam, Sahir Ludhianvi

शेर का हुस्न हो
शेर का हुस्न हो नग्मे की जवानी हो तुम
एक धड़कती हुई एक धड़कती हुई
शादाब कहानी हो तुम शेर का हुस्न हो

आँख ऐसी आंख ऐसी के केवल तुमसे निशानी मांगे
ज़ुल्फ़ ऐसी ज़ुल्फ़ ऐसी के घटा शर्म से पानी मांगे
जिस तरफ से भी जिस तरफ से भी
नज़र डाले सुहानी हो तुम
शेर का हुस्न हो

जिस्म ऐसा जिस्म ऐसा के अजन्ता का अमल याद आये
संगमरमर में ढला संगमरमर में ढला
ताजमहल याद आये पिघले पिघले पिघले पिघले हुए
रंगो की रवानी हो तुम
शेर का हुस्न हो

धड़कने बुनती है जिसको
वो तराना हो तुम
सच कहो किस के मुक़द्दर
का खज़ाना हो तुम
मुझपे माहिर हो
मुझपे माहिर हो के
दुश्मन की दीवानी हो तुम
शेर का हुस्न हो नग्मे की जवानी हो तुम
शेर का हुस्न हो शेर का हुस्न हो

Trivia about the song Sher Ka Husn Ho by Mohammed Rafi

Who composed the song “Sher Ka Husn Ho” by Mohammed Rafi?
The song “Sher Ka Husn Ho” by Mohammed Rafi was composed by Khaiyyaam, Sahir Ludhianvi.

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