Tu Mere Samne Hai

Hasrat Jaipuri, Madan Mohan

तू मेरे सामने है
तेरी ज़ुल्फ़ें हैं खुली
तेरा आँचल है ढला
मैं भले होश में कैसे रहूँ
तू मेरे सामने है
तेरी ज़ुल्फ़ें हैं खुली
तेरा आँचल है ढला
मैं भले होश में कैसे रहूँ
तू मेरे सामने है

तेरी आँखें तो छलकते हुए पैमाने हैं
और तेरे होंठ लरजते हुए मैखाने हैं
मेरे अरमान इसी बात पे दीवाने है
मैं भला होश में कैसे रहूँ कैसे रहूँ
तू मेरे सामने है

तू जो हँसती है तो बिजली सी चमक जाती है
तेरी साँसों से ग़ुलाबों की महक आती है
तू जो चलती है तो कुदरत भी बहक जाती है
मैं भला होश में कैसे रहूँ कैसे रहूँ
तू मेरे सामने है
तेरी ज़ुल्फ़ें हैं खुली
तेरा आँचल है ढला
मैं भले होश में कैसे रहूँ
तू मेरे

Trivia about the song Tu Mere Samne Hai by Mohammed Rafi

Who composed the song “Tu Mere Samne Hai” by Mohammed Rafi?
The song “Tu Mere Samne Hai” by Mohammed Rafi was composed by Hasrat Jaipuri, Madan Mohan.

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