Tum Chali Jaogi Parchhaiyan

Khaiyyam, Sahir Ludhianvi

तुम चली जाओगी परछाइयाँ रह जायेगी
कुछ न कुछ हुस्न की रानाइयाँ रह जायेगी
कुछ न कुछ हुस्न की

सुन के इस झील के साहिल पे मिली हो मुझसे
जब भी देखूंगा यहीं मुझको नज़र आओगी
याद मिटती है न मंज़र कोई मिट सकता है
दूर जाकर भी तुम अपने को यहीं पाओगी
तुम चली जाओगी परछाइयाँ रह जायेगी
कुछ न कुछ हुस्न की

घुल के रह जाएगी झोंकों में बदन की खुशबु
ज़ुल्फ़ का अक्स घटाओं में रहेगा सदियों
फूल चुपके से चुरा लोंगे लबों की सुर्खी
ये जवान हुस्न फ़िज़ाओं में रहेगा सदियों
तुम चली जाओगी परछाइयाँ रह जायेगी
कुछ न कुछ हुस्न की

इस धड़कती हुई शदाब-ओ-हसीन वादी में
इस धड़कती हुई शदाब-ओ-हसीन वादी में
यह न समझो की ज़रा देर का किस्सा हो तुम
अब हमेशा के लिए मेरे मुकद्दर की तरह
इन नज़ारों के मुक़द्दर का भी हिस्सा हो तुम
तुम चली जाओगी परछाइयाँ रह जायेगी

Trivia about the song Tum Chali Jaogi Parchhaiyan by Mohammed Rafi

Who composed the song “Tum Chali Jaogi Parchhaiyan” by Mohammed Rafi?
The song “Tum Chali Jaogi Parchhaiyan” by Mohammed Rafi was composed by Khaiyyam, Sahir Ludhianvi.

Most popular songs of Mohammed Rafi

Other artists of Religious