Tum Jahan Jaoge Mujhko Bhi Wohi

Frank, Kafeel Aazar

ओ तुम जहां जाओगे मुझको ही वही पाओगे
बच के अब मेरी निगाहों से कहा जाओगे
तुम जहां जाओगे मुझको ही वही पाओगे
बच के अब मेरी निगाहों से कहा जाओगे तुम जहां जाओगे

इतना क्यों नाज़ है तुम जैसे हज़ारो है हसीं
इतना क्यों नाज़ है तुम जैसे हज़ारो है हसीं
एक मुझ सा ही कोई सारे ज़माने में नहीं सोच लो वक़्त है
फिर बाद में पछताओगे बच के अब मेरी निगाहों
से कहा जाओगे तुम जहां जाओगे

यु भी एक ख्वाब की ताबीर नज़र आएगी
यु भी एक ख्वाब की ताबीर नज़र आएगी
हर तरफ जब मेरी तस्वीर नज़र आएगी
आइना देख के गभराओगे शरमाओगे
बच के अब मेरी निगाहों से कहा जाओगे
तुम जहां जाओगे मुझको ही वही पाओगे
बच के अब मेरी निगाहों से कहा जाओगे तुम जहां जाओगे

Trivia about the song Tum Jahan Jaoge Mujhko Bhi Wohi by Mohammed Rafi

Who composed the song “Tum Jahan Jaoge Mujhko Bhi Wohi” by Mohammed Rafi?
The song “Tum Jahan Jaoge Mujhko Bhi Wohi” by Mohammed Rafi was composed by Frank, Kafeel Aazar.

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