Upar Se Ujle Bhitar Se Kale

Bharat Vyas

ओ सादा जीवन ऊँचे ख्याल से
देश था ये आबाद
फैशन के पुतलों ने देखो
इसे किया बर्बाद
ऊपर से उजले भीतर से काले
ऊपर से उजले भीतर से काले
समझे नहीं समझाए रे
फैशन के अंधे
दुनिया में देखो
पग पग पे ठोकर खाये रे
पग पग पे ठोकर खाये रे
ऊपर से उजले भीतर सेकाले

बहार की झूठी चमक दमक मैं
बहार की झूठी चमक दमक मैं
आँखे सबकी धुंडीआई रे
मन का मेल छुड़ाने के बदले
कपड़ो की करते सफाई
अँधियारो को ये समझे उजाला हो हो हो
अँधियारो को ये समझे उजाला
इनपे तरस कोई खाये रे
फैशन के अंधे
दुनिया में देखो
पग पग पे ठोकर खाये रे
पग पग पे ठोकर खाये रे
ऊपर से उजले भीतर से काले

Trivia about the song Upar Se Ujle Bhitar Se Kale by Mohammed Rafi

Who composed the song “Upar Se Ujle Bhitar Se Kale” by Mohammed Rafi?
The song “Upar Se Ujle Bhitar Se Kale” by Mohammed Rafi was composed by Bharat Vyas.

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