Yeh Dil Nahi
मनीष उठो मनीष जीने वाले दिल नही हारा करते
ये दिल नहीं के जिसके सहारे जीते हैं
लहू का जाम है जो सुबहो शाम पीते हैं
ये दिल नहीं है
छुपाया लाख मगर इश्क़ है नहीं छुपता
छुपाया लाख मगर इश्क़ है नहीं छुपता
यूँ अश्क आँख में आया हुवा नहीं रुकता
के आग लगती है के आग लगती है
जब आंसुओं को पीते हैं
लहू का जाम है जो सुबहो शाम पीते हैं
ये दिल नहीं है
कभी करार न आएगा हमको जीने से
कभी करार न आएगा हमको जीने से
इलाज ज़हर का होता है ज़हर पीने से
के सर पे मौत का
के सर पे मौत का साया है फिर भी जीते हैं
लहू का जाम है जो सुबहो शाम पीते हैं
ये दिल नहीं है के जिसके सहारे जीते हैं
ये दिल नहीं है के जिसके सहारे जीते हैं