Zulf Ke Phande Men Phans Gai Jaan

Majrooh Sultanpuri

ज़ुल्फ़ के फंदे फस गयी जान
मर गया मैं तो ओ मेरी माँ
ज़ुल्फ़ के फंदे फस गयी जान
मर गया मैं तो ओ मेरी माँ

वाह मेरे दाता तेरे दर
से अजब तक़दीर मिली
ज़ुल्फ़ की हसरत दिल को
हुई तो ज़ंजीर मिली
वाह मेरे दाता तेरे दर
से अजब तक़दीर मिली
ज़ुल्फ़ की हसरत दिल को
हुई तो ज़ंजीर मिली
ऊपर वाले खुब निकाले
इस दिल के अरमां
अरे ऊपर वाले खुब निकाले
इस दिल के अरमां
ज़ुल्फ़ के फंदे फस गयी जान
मर गया मैं तो ओ मेरी माँ
ज़ुल्फ़ के फंदे फस गयी जान
मर गया मैं तो ओ मेरी माँ

प्यार कुछ बुझे नहीं
भला बुरा सूझे नहीं
दिन हो के रैन
बड़े बूढ़े सच ही तो कह गए
होते नहीं प्यार के नैन
प्यार कुछ बुझे नहीं
भला बुरा सूझे नहीं
दिन हो के रैन
बड़े बूढ़े सच ही तो कह गए
होते नहीं प्यार के नैन
प्यार था अँधा तभी तो ये बंदा
जेल का है मेहमान
अरे प्यार था अँधा तभी तो ये बंदा
जेल का है मेहमान
ज़ुल्फ़ के फंदे फस गयी जान
मर गया मैं तो ओ मेरी माँ
ज़ुल्फ़ के फंदे फस गयी जान
मर गया मैं तो ओ मेरी माँ

इश्क़ की दुनिया अजब है
कहा था मजरूह ने कल
कुछ न बनेगा चाहे चकले
में घूमे चाहे ताजमहल
इश्क़ की दुनिया अजब है कहा
था मजरूह ने कल
कुछ न बनेगा चाहे चकले
में घूमे चाहे ताजमहल
लाख तू भांपे मन्तर जापे
इश्क़ नहीं आसान
अरे लाख तू भांपे मन्तर जापे
इश्क़ नहीं आसान
ज़ुल्फ़ के फंदे फस गयी जान
मर गया मैं तो ओ मेरी माँ
ज़ुल्फ़ के फंदे फस गयी जान
मर गया मैं तो ओ मेरी माँ

फस गई जान ऊई मेरी माँ
जाऊ कहा अरे जाऊ कहा
मैं कहा ना निकालो मुझको
अरे छोड़ो मुझको फस गई जान
अरे छोड़दो मुझको

Trivia about the song Zulf Ke Phande Men Phans Gai Jaan by Mohammed Rafi

Who composed the song “Zulf Ke Phande Men Phans Gai Jaan” by Mohammed Rafi?
The song “Zulf Ke Phande Men Phans Gai Jaan” by Mohammed Rafi was composed by Majrooh Sultanpuri.

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