O Sathi Mere

KRSNA SOLO, RAJ SHEKHAR

आ हा हा
आ हा हा

ओ साथी मेरे
हाथों में तेरे
हाथों की अब गिरहा दी ऐसे
की टूटे ये कभी ना

ओ साथी मेरे
हाथों में तेरे
हाथों की अब गिरहा दी ऐसे
की टूटे ये कभी ना

चल न कहीं सपनो के गाँव रे
छूटे न फिर भी धरती से पाऊँ रे
आग और पानी से फिर लिख दे वह वादे सारे
साथ ही में रोये हसे संग धुप छाँव रे
आग और पानी से फिर लिख दे वह वादे सारे
साथ ही में रोये हसे संग धुप छाँव रे

ओ साथी मेरे
हाथों में तेरे
हाथों की अब गिरहा दी ऐसे
की टूटे ये कभी ना
आ आ आ आ आ आ आ आ
हम जो बिखरे कभी
तुमसे जो हम उधड़े कहीं
बुन ले न फिर से हर धागा
हम तोह अधूरे यहां
तुम भी मगर पूरे कहाँ
करले अधूरेपन को हम आधा
जो अभी हमारा हो मीठा हो या खारा हो
आओ न कर ले हम सब साझा

ओ साथी मेरे
हाथों में तेरे
हाथों की अब गिरहा दी ऐसी
की टूटे ये कभी ना

गहरी अँधेरी या उजले सवेरे हों
ये सारे तोह हैं तुम से ही
आँख में तेरी मेरी उतरे इक साथ ही
दिन हो पतझर के रातें या फूलों के
कितना भी हम रूठे पर बात करें साथी
मौसम मौसम यूँही साथ चलेंगे हम
लम्बी इन राहों में या फूँक के पाहों से
रखेंगे पाऊँ पे तेरे मरहम

आओ मिले हम इस तरहा
आये न कभी विरहा
हम से मैं न हो रिहा
हमदम तुम ही हो
हरदम तुम ही हो
अब है यही दुआ

साथी रे उम्र के सलवट भी साथ तहेंगे हम
गोद में लेके सर से चाँदी चुनेंगे हम
मरना मर साथि बरसात जियेंगे हम

ओ साथी मेरे
हाथों में तेरे
हाथों की अब गिरहा दी ऐसे
की टूटे ये कभी ना

चल न कहीं सपनो के गाँव रे
छूटे न फिर भी धरती से पाऊँ रे
आग और पानी से फिर लिख दे वह वादे सारे
साथ ही में रोये हसे संग धुप छाँव रे
आग और पानी से फिर लिख दे वह वादे सारे
साथ ही में रोये हसे संग धुप छाँव रे

ओ साथी मेरे
हाथों में तेरे
हाथों की अब गिरहा दी ऐसे
की टूटे ये कभी ना
कभी ना

आ हा हा आ हा हा

Trivia about the song O Sathi Mere by Sonu Nigam

Who composed the song “O Sathi Mere” by Sonu Nigam?
The song “O Sathi Mere” by Sonu Nigam was composed by KRSNA SOLO, RAJ SHEKHAR.

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