Mast Malang Jhoom
है जुनून में सुकून, तेज रफ्तार हूँ
घूमता है जेहन, मैं सुरूरों में हूँ
मखमली सी है खुमारी
इश्क़ सा तो नशा कोई ना
जाम रंगी, रूह मलंगी
इश्क़ जैसी तृषा कोई ना
मस्त मलंग झूम
मस्त मलंग झूम
मस्त मलंग झूम
उम्म्म रोज़-रोज़ तलब लगे, लहर-लहर शौक बढ़े तो मन मचले
(ऊ) घूम-घूम रात कटे, जाग-जाग आग जले तो मन मचले
सुरमई सी बेकरारी
इश्क़ सा तो नशा कोई ना
दम कलंदर, मन समंदर
इश्क़ जैसा नशा कोई ना
मस्त मलंग झूम
मस्त मलंग झूम
मस्त मलंग झूम
होश की बात ही नहीं आई
मस्त मलंग झूम
ज़िंदगी हाथ ही नहीं आई
मस्त मलंग झूम
बिन सोए ही दिन में जागे है
इश्क़ में रात ही नहीं आई
मखमली सी है खुमारी
इश्क़ सा तो नशा कोई ना
जाम रंगी, रूह मलंगी
इश्क़ जैसी तृषा कोई ना
मस्त मलंग झूम (ओ)
मस्त मलंग झूम
मस्त मलंग झूम