Womaniya [Radio Edit]

Raj Shekhar

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर
देखेगी ये दुनिया ये वुमनिया
हा हा हा हा हा हा
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर
देखेगी ये दुनिया ये वुमनिया
जब भी ये निकल जाए, सूरज भी पिघल जाए
आसमाँ को नीचे दे झुका
अपने पे आए अगर, पत्थर तितर-बितर
किसी का भी तोड़े ये गुमाँ
धुनकी धुआँधार हो, ज़िद अगर सवार हो
तेरे जैसी ताकत देखो यहाँ किसी और में कहाँ
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर
देखेगी ये दुनिया ये वुमनिया
हा हा हा हो ओ ओ

लिख दे नयी कहानी अब तू तेरी ज़ुबानी
भूल के बातें पुरानी के कैसे किसी ने कब था क्या कहा
हो, लिख दे नयी कहानी अब तू तेरी ज़ुबानी
भूल के बातें पुरानी के कैसे किसी ने कब था क्या कहा
रोके गाँव-जवारी, पर तेरी ज़िद करारी
टूटी चारदीवारी तो चल पड़ी है एक नयी हवा
सदाबहार है, तू सबसे चमकदार है
तेरी रोशनी में लग रहा है अब जवाँ-जवाँ जहाँ
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर
देखेगी ये दुनिया ये वुमनिया
हा हा हा हो ओ ओ(हो ओ)

Trivia about the song Womaniya [Radio Edit] by Vishal Mishra

Who composed the song “Womaniya [Radio Edit]” by Vishal Mishra?
The song “Womaniya [Radio Edit]” by Vishal Mishra was composed by Raj Shekhar.

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