Do Gharon Ki Aag Mein

C Ramchandra, P L Santoshi

दो घरो की आग मे घर हज़ारो जल गये
बेकसूर बेगुनाह कितने हाय मर गये, मर गये
भूल किसकी थी
और किस को पायमाली हो गयी
थी जहा जगमग दीवाली रात काली हो गयी
रात काली हो गयी

चलने वालो के साथ सब चलते है
गिरते हुओ का दामन कोई थाम ले
हिम्मत से कोई काम ले
साहस से कोई काम ले
हिम्मत से कोई काम ले
साहस से कोई काम ले

नज़र फेर कर जाने वाले
नज़र फेर कर जाने वाले
एक बार तो देख ज़रा
एक बार तो देख ज़रा
हम तो तेरी भूले है
तू हमको पहचान ले

हिम्मत से कोई काम ले
साहस से कोई काम ले
हिम्मत से कोई काम ले
साहस से कोई काम ले

भूल गये वो वादे अपने
भूल गये वो वादे अपने
जो लाखो के बीच दिए
जो लाखो के बीच दिए
मूह फेर चला जब वक़्त पड़ा
हाय बेदर्दी समाज ये

हिम्मत से कोई काम ले
साहस से कोई काम ले
हिम्मत से कोई काम ले
साहस से कोई काम ले

आगे बढ़ने से डरते है
भारत के जवान क्यू

भारत के जवान क्यू
जिनके दिल मे दर्द नही है
कहलाते इंसान क्यू

कहलाते इंसान क्यू
बैठे है अब तक मंदिर मे चुप
बैठे है अब तक मंदिर मे चुप
हो के भगवान क्यू
धरती क्यू ना फट जाए
गिर जाए ना आसमान क्यू

गिरते हुओ का दामन कोई थाम ले
हिम्मत से कोई काम ले
साहस से कोई काम ले
हिम्मत से कोई काम ले
साहस से कोई काम ले

Trivia about the song Do Gharon Ki Aag Mein by शमशाद बेगम

Who composed the song “Do Gharon Ki Aag Mein” by शमशाद बेगम?
The song “Do Gharon Ki Aag Mein” by शमशाद बेगम was composed by C Ramchandra, P L Santoshi.

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