Murakh Hai Jo Sagar Ki Maujon Men

KUMAR HEMANT, S H Bihari

मुर्ख है जो सागर की
मौजो में फस कर रोता है
इस सागर में मौजे है
उसका भी किनारा होता है
छोड़ दे नैया भवर में
डर नही तूफ़ान से
छोड़ दे नैया भवर
में डर नही तूफ़ान से
मांगने वाले को मिलती है
मदद भगवान से
छोड़ दे छोड़ दे नैया

कहते है दुनिआ जिसे जुल्म
ओ सितम का नाम है
कहते है दुनिआ जिसे जुल्म
ओ सितम का नाम है
ठोकरें खाकर सम्भालना
ही हमारा काम है
भूल तो होती रहेगी
उम्र भर इंसान से
छोड़ दे छोड़ दे नैया

अपने मालिक पर भरोसा
है तुझे नादाँ अगर
अपने मालिक पर भरोसा
है तुझे नादाँ अगर
गम तुझे किस बात का है
देख दुनिआ से न डर
मांगता है क्यों दया की भीख
तू इंसान से
छोड़ दे नैया भवर
में डर नही तूफ़ान से
मांगने वाले को मिलती है
मदद भगवान से
भगवान से भगवान से

Trivia about the song Murakh Hai Jo Sagar Ki Maujon Men by Hemant Kumar

Who composed the song “Murakh Hai Jo Sagar Ki Maujon Men” by Hemant Kumar?
The song “Murakh Hai Jo Sagar Ki Maujon Men” by Hemant Kumar was composed by KUMAR HEMANT, S H Bihari.

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