Woh Mulaqat

Vishal Pande, Chirag Soni

अब ना खुशी है ना कोई वजह जो खुश रहे हम
अब वो जुदा हैं तो फिर किसे ये सब कहे हम
रिश्ते जो थे सभी वो भी तो अब होगए ख़तम
तन्हा भला यहाँ ना जाने अब कैसे रहे हम

गम में डूबे हुए बस यही सोचते
काश ये हुआ ना होता
यूँ खुद ही को हर पल हम है कोसते
काश ये हुआ ना होता

वो मुलाक़ात आखरी थी, ये पता अगर होता तो
मिलने ही तुझे आते ना, और दिल ऐसे ना रोता तो
वो मुलाक़ात आखरी थी, ये पता अगर होता तो
मिलने ही तुझे आते ना, और दिल ऐसे ना रोता तो

हा आ आ आ ओ ओ

कैसे ये पल दे दिए ज़िंदगी
चाहा जो वो तो मिला ही नहीं
रोने से अब जो हमें रोकले
साथी कहीं भी मिला नहीं
फिरने लगे हम सड़को पे रूठके
काश ये हुआ ना होता
यूँ खुद ही को हर पल हम बस कोसते
काश ये हुआ ना होता

वो मुलाक़ात आखरी थी, ये पता अगर होता तो
मिलने ही तुम्हे आते ना, और दिल ऐसे ना रोता तो
वो मुलाक़ात आखरी थी, ये पता अगर होता तो
मिलने ही तुम्हे आते ना, और दिल ऐसे ना रोता तो

Trivia about the song Woh Mulaqat by Madhur Sharma

Who composed the song “Woh Mulaqat” by Madhur Sharma?
The song “Woh Mulaqat” by Madhur Sharma was composed by Vishal Pande, Chirag Soni.

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