Zara Si Baat Pe

Sardar Anjum, Talat Aziz

ज़रा सी बात पे रूठा
किए वो हरजाई
ज़रा सी बात पे रूठा
किए वो हरजाई
अदडाए खैसम बड़ी
देर में समाज आए
ज़रा सी बात

तू ना खुदा हैं खुदा
क्या तुम्हें बचाएगा
तू ना खुदा हैं खुदा
क्या तुम्हें बचाएगा
जिन्हें डुबोदे निगाहे
करम की गहराई में
जिन्हें डुबोदे निगाहे
करम की गहराई में
अदडाए खैसम बड़ी
देर में समाज आए
ज़रा सी बात

विशाल ए यार पे बादल
हैं फिर जुदाई के
विशाल ए यार पे बादल
हैं फिर जुदाई के
अभी अभी तो उठी हैं
यहाँ से तन्हाई
अभी अभी तो उठी हैं
यहाँ से तन्हाई
अदडाए खैसम बड़ी
देर में समाज आए
ज़रा सी बात

उसकी की चाह में
कितने जानम खुड़ाने
उसकी की चाह में
कितने जानम खुड़ाने
पनामे इश्क़ मिली हैं
हूमें जो रषवाई
पनामे इश्क़ मिली हैं
हूमें जो रषवाई
अदडाए खैसम बड़ी
देर में समाज आए
ज़रा सी बात पे रूठा
किए वो हरजाई
ज़रा सी बात

Trivia about the song Zara Si Baat Pe by Talat Aziz

When was the song “Zara Si Baat Pe” released by Talat Aziz?
The song Zara Si Baat Pe was released in 1981, on the album “A Touch Of Talat Aziz”.
Who composed the song “Zara Si Baat Pe” by Talat Aziz?
The song “Zara Si Baat Pe” by Talat Aziz was composed by Sardar Anjum, Talat Aziz.

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