Aawargi Hamari

Dhiraj, Vinod Pande, Seth Raghu Nath

ह्म्‍म्म ह्म्‍म्म
आवारगी आवारगी आवारगी
आवारगी हमारी प्यारी सी थी कभी जो
वही आज हमको रुलाने लगी है
जो भरती थी दिल में तरंगे हमेशा
वही आज जी को जलाने लगी है
आवारगी हमारी

न कोई ग़म न गिला, न कोई शुबह का निशाँ
न कोई ग़म न गिला, न कोई शुबह का निशाँ
पायी थी हर खुशी हर सुकूँ हमको था
नग़मे थे, बहारों के तरन्नुम हर कहीं
फिर भी क्यों हम भटका किये
ये तू ही बता, आवारगी, आवारगी

आवारगी हमारी प्यारी सी थी कभी जो
वही आज हमको रुलाने लगी है
आवारगी हमारी

खामोशियाँ हैं हर तरफ़, तन्हाईयाँ हैं हर तरफ़
खामोशियाँ हैं हर तरफ़, तन्हाईयाँ हैं हर तरफ़
यादों के भवर से अब कैसे निकलें
साथी न रहा कोई न कोई हमसफ़र
ज़िंदगी के सफ़े पर लिखने को
है अब तो बस आवारगी, आवारगी

आवारगी हमारी प्यारी सी थी कभी जो
वही आज हमको रुलाने लगी है
जो भरती थी दिल में तरंगे हमेशा
वही आज जी को जलाने लगी है
आवारगी हमारी

Trivia about the song Aawargi Hamari by Talat Aziz

When was the song “Aawargi Hamari” released by Talat Aziz?
The song Aawargi Hamari was released in 2004, on the album “Aawargi Hamari”.
Who composed the song “Aawargi Hamari” by Talat Aziz?
The song “Aawargi Hamari” by Talat Aziz was composed by Dhiraj, Vinod Pande, Seth Raghu Nath.

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