Rukh Se Parda

ANWAR MIRZAPURI, TALAT AZIZ

रुख से पर्दा हटा दे जरा सकिया
रुख से पर्दा हटा दे जरा सकिया
बस अभी रंग-ए-महफ़िल बदल जायेगा
जो है बेहोश वो होश मे आएगा
जो है बेहोश वो होश मे आएगा
गिरने वाला जो है वो संभल जायेगा
रुख से पर्दा हटा दे

अपने पर्दे का रखना है गर कुछ भरम
सामने आ न जाना मुनासिब नहीं
अपने पर्दे का रखना है गर कुछ भरम
सामने आ न जाना मुनासिब नहीं
एक वहशी से ये छेड़ अच्छी नहीं
एक वहशी से ये छेड़ अच्छी नहीं
क्या करोगे अगर ये मचल जायेगा
रुख से पर्दा हटा दे

मेरा दामन तो जल ही चुका है मगर
आँच तुम पर भी आये गँवारा नहीं
मेरा दामन
मेरा दामन
मेरा दामन तो जल ही चुका है मगर
आँच तुम पर भी आये गँवारा नहीं
मेरे आँसू ना पोंछो खुदा के लिए
मेरे आँसू ना पोंछो खुदा के लिए
वरना दामन तुम्हारा भी जल जायेगा
रुख से पर्दा हटा दे

तीर को यूँ ना खेचो कहा मान लो
तीर की जाँ है दिल, दिल की जाँ तीर है
तीर को यूँ ना खेचो कहा मान लो
तीर की जाँ है दिल, दिल की जाँ तीर है
तीर निकला तो दिल साथ मे आएगा
तीर निकला तो दिल साथ मे आएगा
दिल जो निकला तो दम भी निकल जायेगा
रुख से पर्दा हटा दे जरा सकिया
बस अभी रंग-ए-महफ़िल बदल जायेगा
जो है बेहोश वो होश मे आएगा
जो है बेहोश वो होश मे आएगा
गिरने वाला जो है वो संभल जायेगा
रुख से पर्दा हटा दे

Trivia about the song Rukh Se Parda by Talat Aziz

Who composed the song “Rukh Se Parda” by Talat Aziz?
The song “Rukh Se Parda” by Talat Aziz was composed by ANWAR MIRZAPURI, TALAT AZIZ.

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